Thursday, May 5, 2022

चराग़ तो सभी जल रहे हैं



नज़्म लिखू मगर किस पर
चराग़ तो सभी जल रहे हैं

चैन से गुज़र रही है ज़िन्दगी
ख़्वाब भी अच्छे पल रहे हैं

नज़्म लिखूं मगर किस पर
चराग़ तो सभी जल रहे हैं

दुनिया में कोई गम नहीं
हम भी खुशियों में ढल रहे हैं

नज़्म लिखूं मगर किस पर
चराग़ तो सभी जल रहे हैं

हाथों ने कलम भी ठीक पकड़ी है
पाँव भी अच्छे चल रहे हैं

नज़्म लिखूं मगर किस पर
चराग़ तो सभी जल रहे हैं

जवानी में दम में मौज़ूद है
और बुढ़ापे में भी ढल रहे हैं।

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