Monday, June 20, 2022

ज़िन्दगी से मुझे गिला ही नहीं

ज़िन्दगी से मुझे गिला ही नहीं

ज़िन्दगी से मुझे गिला ही नहीं

रोग ऐसा लगा दवा ही नहीं


क्या करूँ ज़िन्दगी का बिन तेरे

साँस लेने में अब मज़ा ही नहीं


दोष भँवरों पे सब लगाएंँगें

फूल गुलशन में जब खिला ही नहीं


कौन किसको मिले ख़ुदा जाने

मेरा होकर भी तू मिला ही नहीं


मेरी आँखों में एक दरिया था

तेरे जाने पे वो रुका ही नहीं


~ मुहम्मद आसिफ अली


Source:  Poetistic  Youtreex Foundation  Poetry in Hindi  OS.ME  Best Ghazal Shayari in Hindi  कविता बहार  साहित्यप्रीत







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