ज़िन्दगी से मुझे गिला ही नहीं
रोग ऐसा लगा दवा ही नहीं
क्या करूँ ज़िन्दगी का बिन तेरे
साँस लेने में अब मज़ा ही नहीं
दोष भँवरों पे सब लगाएंँगें
फूल गुलशन में जब खिला ही नहीं
कौन किसको मिले ख़ुदा जाने
मेरा होकर भी तू मिला ही नहीं
मेरी आँखों में एक दरिया था
तेरे जाने पे वो रुका ही नहीं
~ मुहम्मद आसिफ अली
Source: Poetistic Youtreex Foundation Poetry in Hindi OS.ME Best Ghazal Shayari in Hindi कविता बहार साहित्यप्रीत
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