Wednesday, June 22, 2022

किसी का ग़म उठाना हाँ चुनौती है

किसी का ग़म  उठाना हाँ चुनौती है

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किसी का ग़म उठाना हाँ चुनौती है
किसी को अब हँसाना हाँ चुनौती है

अड़ा है इस सजा के सामने सच भी
मगर हरकत बताना हाँ चुनौती है

तू ने बेची हजारों ज़िंदगी हों पर
तुझे झूठा फँसाना हाँ चुनौती है

सर-ए-बाज़ार तुझको मैं झुकाऊँगा
यहाँ तुझको झुकाना हाँ चुनौती है

नजर से तो तेरी कोई बचा ही क्या
यहाँ कुछ भी छिपाना हाँ चुनौती है

अना तेरी यहाँ सब को सजा देगी
तेरी आदत हटाना हाँ चुनौती है

बता क्या क्या सभी को बोलना है अब
यहाँ उनको चुपाना हाँ चुनौती है

बुना है ख़ुद पिटारा साँप का उसने
जहर उसका मिटाना हाँ चुनौती है

कि तेरे सामने 'आसिफ' ज़माना है
यहाँ उसको सताना हाँ चुनौती है

~ मुहम्मद आसिफ अली

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