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Muhammad Asif Ali | Indian Poet
Friday, December 9, 2022
Friday, July 15, 2022
Wednesday, June 22, 2022
किसी का ग़म उठाना हाँ चुनौती है
Monday, June 20, 2022
मैं मुसलमान हूँ - नज़्म
मैं एक फ़रमान हूँ
तेरे लिए अहकाम हूँ
तुझ से कैसे डरूँ तू बता
मैं मुसलमान हूँ
तेरी हसरत नहीं होगी पूरी
तेरी तमन्ना रह जाएगी अधूरी
मैं जोड़ता इसमें ईमान हूँ
मैं मुसलमान हूँ
वहाँ पे तू बे-ज़बान होगा
बुरा तेरी अंजाम होगा
चार दिन की हुकूमत पे इतना नशा
मैं तो सदियों से सुल्तान हूँ
मैं मुसलमान हूँ
अपनी हरकत से किसी को न सता
सच्चाई जा कर अपनी सबको बता
बैठकर कुर्सी पे क्यों इतराता है तू
मैं तो दोनों जहाँ की जान हूँ
मैं मुसलमान हूँ
तेरी अच्छाई जंग खाने लगी
तेरी बुराई शर्माने लगी
आजा लग जा तू मेरे गले
मैं तेरा ईमान हूँ
मैं मुसलमान हूँ
तू न होगा कभी कामयाब
बताएगा अगर ख़ुद को साहब
आजा तू भी उसकी पनाह में
जिसका मैं भी ग़ुलाम हूँ
मैं मुसलमान हूँ
तेरी सोच बिल्कुल छोटी है
तेरे गुनाहों की पोटली मोटी है
कर ले तू भी उस रब से तौबा
जिसका मैं भी मेहमान हूँ
मैं मुसलमान हूँ
छोटों पर ज़ुल्म ढाता है तू
बे-ईमानी की खाता है तू
कर ले तू भी उससे मोहब्बत
जिसके सदके मैं भी इंसान हूँ
मैं मुसलमान हूँ
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~ मुहम्मद आसिफ अली (उर्दू शायर)
ज़िन्दगी से मुझे गिला ही नहीं
ज़िन्दगी से मुझे गिला ही नहीं
रोग ऐसा लगा दवा ही नहीं
क्या करूँ ज़िन्दगी का बिन तेरे
साँस लेने में अब मज़ा ही नहीं
दोष भँवरों पे सब लगाएंँगें
फूल गुलशन में जब खिला ही नहीं
कौन किसको मिले ख़ुदा जाने
मेरा होकर भी तू मिला ही नहीं
मेरी आँखों में एक दरिया था
तेरे जाने पे वो रुका ही नहीं
~ मुहम्मद आसिफ अली
Source: Poetistic Youtreex Foundation Poetry in Hindi OS.ME Best Ghazal Shayari in Hindi कविता बहार साहित्यप्रीत
Saturday, June 18, 2022
तेरे दिल के किसी कोने में अपना घर बनाऊं तो
Sunday, June 5, 2022
अगर है प्यार मुझसे तो बताना भी ज़रूरी है
अगर है प्यार मुझसे तो बताना भी ज़रूरी है
दिया है हुस्न मौला ने दिखाना भी ज़रूरी है
इशारा तो करो कभी मुझको अपनी निगाहों से
अगर है इश्क़ मुझसे तो जताना भी ज़रूरी है
अगर कर ले सभी ये काम झगड़ा हो नहीं सकता
ख़ता कोई नजर आए छुपाना भी ज़रूरी है
अगर टूटे कभी रिश्ता तुम्हारी हरकतों से जब
पड़े क़दमों में जाकर फिर मनाना भी ज़रूरी है
कभी मज़लूम आ जाए तुम्हारे सामने तो फिर
उसे अब पेट भर कर के खिलाना भी ज़रूरी है
अगर रोता नजर आए कभी मस्जिद या मंदिर में
बड़े ही प्यार से उसको हँसाना भी ज़रूरी है
~ मुहम्मद आसिफ अली
Source:
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For approvel
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ज़िन्दगी से मुझे गिला ही नहीं रोग ऐसा लगा दवा ही नहीं क्या करूँ ज़िन्दगी का बिन तेरे साँस लेने में अब मज़ा ही नहीं दोष भँवरों पे सब लगाएंँगें फ...
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