Wednesday, June 22, 2022
किसी का ग़म उठाना हाँ चुनौती है
Monday, June 20, 2022
मैं मुसलमान हूँ - नज़्म
मैं एक फ़रमान हूँ
तेरे लिए अहकाम हूँ
तुझ से कैसे डरूँ तू बता
मैं मुसलमान हूँ
तेरी हसरत नहीं होगी पूरी
तेरी तमन्ना रह जाएगी अधूरी
मैं जोड़ता इसमें ईमान हूँ
मैं मुसलमान हूँ
वहाँ पे तू बे-ज़बान होगा
बुरा तेरी अंजाम होगा
चार दिन की हुकूमत पे इतना नशा
मैं तो सदियों से सुल्तान हूँ
मैं मुसलमान हूँ
अपनी हरकत से किसी को न सता
सच्चाई जा कर अपनी सबको बता
बैठकर कुर्सी पे क्यों इतराता है तू
मैं तो दोनों जहाँ की जान हूँ
मैं मुसलमान हूँ
तेरी अच्छाई जंग खाने लगी
तेरी बुराई शर्माने लगी
आजा लग जा तू मेरे गले
मैं तेरा ईमान हूँ
मैं मुसलमान हूँ
तू न होगा कभी कामयाब
बताएगा अगर ख़ुद को साहब
आजा तू भी उसकी पनाह में
जिसका मैं भी ग़ुलाम हूँ
मैं मुसलमान हूँ
तेरी सोच बिल्कुल छोटी है
तेरे गुनाहों की पोटली मोटी है
कर ले तू भी उस रब से तौबा
जिसका मैं भी मेहमान हूँ
मैं मुसलमान हूँ
छोटों पर ज़ुल्म ढाता है तू
बे-ईमानी की खाता है तू
कर ले तू भी उससे मोहब्बत
जिसके सदके मैं भी इंसान हूँ
मैं मुसलमान हूँ
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~ मुहम्मद आसिफ अली (उर्दू शायर)
ज़िन्दगी से मुझे गिला ही नहीं
ज़िन्दगी से मुझे गिला ही नहीं
रोग ऐसा लगा दवा ही नहीं
क्या करूँ ज़िन्दगी का बिन तेरे
साँस लेने में अब मज़ा ही नहीं
दोष भँवरों पे सब लगाएंँगें
फूल गुलशन में जब खिला ही नहीं
कौन किसको मिले ख़ुदा जाने
मेरा होकर भी तू मिला ही नहीं
मेरी आँखों में एक दरिया था
तेरे जाने पे वो रुका ही नहीं
~ मुहम्मद आसिफ अली
Source: Poetistic Youtreex Foundation Poetry in Hindi OS.ME Best Ghazal Shayari in Hindi कविता बहार साहित्यप्रीत
Saturday, June 18, 2022
तेरे दिल के किसी कोने में अपना घर बनाऊं तो
Sunday, June 5, 2022
अगर है प्यार मुझसे तो बताना भी ज़रूरी है
अगर है प्यार मुझसे तो बताना भी ज़रूरी है
दिया है हुस्न मौला ने दिखाना भी ज़रूरी है
इशारा तो करो कभी मुझको अपनी निगाहों से
अगर है इश्क़ मुझसे तो जताना भी ज़रूरी है
अगर कर ले सभी ये काम झगड़ा हो नहीं सकता
ख़ता कोई नजर आए छुपाना भी ज़रूरी है
अगर टूटे कभी रिश्ता तुम्हारी हरकतों से जब
पड़े क़दमों में जाकर फिर मनाना भी ज़रूरी है
कभी मज़लूम आ जाए तुम्हारे सामने तो फिर
उसे अब पेट भर कर के खिलाना भी ज़रूरी है
अगर रोता नजर आए कभी मस्जिद या मंदिर में
बड़े ही प्यार से उसको हँसाना भी ज़रूरी है
~ मुहम्मद आसिफ अली
Source:
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https://www.poetry.com/poem/128668/agar-hai-pyaar-mujhse-to-bataana-bhi-jaroori-hai
Thursday, May 26, 2022
ख़्वाब को साथ मिलकर सजाने लगे
ख़्वाब को साथ मिलकर सजाने लगे
घर कहीं इस तरह हम बसाने लगे
कर दिया है ख़फ़ा इस तरह से हमें
मान हम थे गए फिर मनाने लगे
~ मुहम्मद आसिफ अली
Source:
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https://twitter.com/AuthorAsifKhan/status/1529804791098097667
https://www.facebook.com/AuthorAsifKhan/photos/a.109794668050542/185658467130828
https://www.poetry.com/poem/128209/khwaab-ko-saath-milkar-sajaane-lage
https://kavishala.in/@muhammad-asif-ali/khvaba-ko-satha-milakara-sajane-lage
https://allpoetry.com/poem/16549505-Khwaab-Ko-Saath-Milkar-Sajaane-Lage-by-Muhammad-Asif-Ali
https://www.poemocean.com/pop/poem-detail.html?id=13331
https://www.writerscafe.org/writing/AuthorAsifKhan/2818312/
https://mypoeticside.com/show-poem-147212
https://commaful.com/play/authorasifkhan/khwaab-ko-saath-milkar-sajaane-lage/
Wednesday, May 11, 2022
अपनी क़िस्मत को फिर बदल कर देखते हैं
अपनी क़िस्मत को फिर बदल कर देखते हैं
आओ मुहब्बत को एक बार संभल कर देखते हैं
चाँद तारे फूल शबनम सब रखते हैं एक तरफ
महबूब-ए-नज़र पे इस बार मर कर देखते हैं
जिस्म की भूख तो रोज कई घर उजाड़ देती है
हम रूह-ओ-रवाँ को अपनी जान कर के देखते हैं
छोड़ देते हैं कुछ दिन ये फ़ज़ा का मुक़ाम
चंद रोज़ इस घर से निकल कर देखते हैं
लौह-ए-फ़ना से जाना तो फ़ितरत है सभी की
यार-ए-शातिर पे एतिबार फिर कर कर देखते हैं
कौन सवार हैं कश्ती में कौन जाता है साहिल पर
सात-समुंदर से 'आसिफ' गुफ़्तगू कर कर देखते हैं
Aao Muhabbat Ko Ek Baar Sambhal Kar Dekhte Hain
Chaand Taare Fool Shabnam Sab Rakhte Hain Ek Taraf
Mahboob-e-nazar pe Es Baar Mar Kar Dekhte Hain
Jism Ki Bhookh To Roz Kai Ghar Ujaad Deti Hai
Hum Rooh-o-rawan ko Apni Jaan Kar Ke Dekhte Hain
Chhod Dete Hain Kuch Din Ye Faza Ka Muqaam
Chand Roz Is Ghar Se Nikal Kar Dekhte Hain
Loh-e-Fanaa Se Jaana To Fitrat Hai Sabhi Ki
Yaar-e-Shaatir Pe Etivaar Fir Kar Ke Dekhte Hain
Kon Sawaar Hai Kashti Main Kon Jaata Hai Saahil Par
Saat-Samandar Se 'Asif' Guftagu Kar Ke Dekhte Hain
For approvel
https://infofamouspeople.com/famous/muhammad-asif-ali.htm?Type=VerifyAccount&expire=2022-10-12
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https://infofamouspeople.com/famous/muhammad-asif-ali.htm?Type=VerifyAccount&expire=2022-10-12
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ज़िन्दगी से मुझे गिला ही नहीं रोग ऐसा लगा दवा ही नहीं क्या करूँ ज़िन्दगी का बिन तेरे साँस लेने में अब मज़ा ही नहीं दोष भँवरों पे सब लगाएंँगें फ...